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12 साल बाद विद्युत नियामक आयोग का आया ड्राफ्ट , फिर से बिजली के बिलों में बढोत्तरी .....

जबलपुर(ईन्यूज एमपी)कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका देने की तैयारी है। सभी तरह के शुल्क बढ़ाने की तैयारी है। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मीटर टेस्टिंग चार्ज, लोड बढ़ाने से लेकर नए कनेक्शन के शुल्क में 67 से 70% वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। आयोग ने इसका ड्राफ्ट जारी कर दिया है। उपभोक्ताओं से सुझाव, दावे और आपत्तियों पर सुनवाई के बाद सर्विस चार्ज में संशोधन लागू किए जाएंगे। बड़ी बात है कि आयोग ने प्रदेश के हिंदी अखबारों में इसकी सूचना तो दी है, लेकिन वह अंग्रेजी में है। उपभोक्ताओं से पांच जुलाई 2021 तक आपत्ति/ सुझाव मांगे गए हैं। इस पर जनसुनवाई की औपचारिकता 6 जुलाई को पूरी की जाएगी। इसने सवाल खड़ा कर दिया है कि हिंदी भाषा प्रदेश में विज्ञापन अंग्रेजी में क्यों, जबकि यह हर वर्ग से जुड़ा मामला है।

प्रदेश में लगभग 1.59 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें एक करोड़ घरेलू उपभोक्ता सस्ती (100 यूनिट पर 100 रुपए) बिजली योजना का लाभ पा रहे हैं। इसमें 28 लाख के लगभग कृषि उपभोक्ता हैं। शेष व्यावसायिक और औद्योगिक उपभोक्ता हैं। बड़ी संख्या में उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान चेक के माध्यम से भी करते हैं। अब चेक बाउंस हुआ तो घरेलू उपभोक्ताओं को 250 रुपए और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को 1600 रुपए के लगभग देने होंगे। घरेलू उपभोक्ताओं को मीटर टेस्टिंग कराने के लिए 80 रुपए देने होंगे। पहले यह काम 50 रुपए में हो जाता था। सिंगल फ्रीस 3 केवीए लोड के कनेक्शन के आवेदन के लिए लगने वाला शुल्क 600 रुपए से बढ़ाकर 1020 रुपए करने का प्रस्ताव है।

12 साल बाद नियामक आयोग ने शुल्क बढ़ाने का ड्राफ्ट बनाया
इसी तरह मीटर की जांच करानी हो, या कनेक्शन में नाम परिर्वतन कराना हो, भार बढ़ाने से लेकर सभी तरह के शुल्क और सर्विस चार्ज में बढ़ोतरी की तैयारी है। मप्र ऊर्जा नियामक आयोग ने इस तरह का प्रस्ताव तैयार किया है। शुल्कों में यह संशोधन 12 साल बाद होने जा रहा है।बिजली सेवाओं से जुड़े सर्विस चार्ज में चोरी से वृद्धि की तैयारी आयोग ने प्रदेश के हिंदी अखबारों में सूचना तो दी है, लेकिन वह अंग्रेजी में है। उपभोक्ताओं से पांच जुलाई 2021 तक आपत्ति/ सुझाव मांगे गए हैं। इस पर जनसुनवाई की औपचारिकता 6 जुलाई को पूरी की जाएगी। अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक आयोग द्वारा अंग्रेजी में अधूरी आम सूचना प्रकाशित करवाना विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45(2) ख का पूर्णत: उल्लंघन है। इस अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी प्रकार की दरों और मूल्य में परिवर्तन की पर्याप्त और संतोषजनक जानकारी प्रकाशित की जाएगी, ताकि आम उपभोक्ता समझकर आपत्ति/ सुझाव पेश कर सकें।

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