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रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी, जबलपुर STF ने दो आरोपियों को दबोचा....

जबलपुर(ईन्यूज एमपी) रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में एसटीएफ ने जबलपुर विक्टोरिया जिला अस्पताल के एक डाक्टर के ड्राइवर सहित दो लोगों को दबोचा है। दोनों पर आरोप है कि वे अस्पताल से डॉक्टर की सील लगी पर्ची चुराकर उस पर फर्जी हस्ताक्षर कर स्टोर से अनुदान वाले इंजेक्शन निकलवाते थे। ऐसे आठ इंजेक्शन आरोपियों ने विक्टोरिया से निकलवा कर बाजार में 19 से 25 हजार रुपए में बेचे थे। एक आरोपी के घर से ऐसी सात और पर्ची भी जब्त हुई है।
एसटीएफ डीएसपी ललित कुमार कश्यप के मुताबिक रेमडेसिविर की कालाबाजारी और फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार डॉक्टर नीरज साहू और ओमती पुलिस द्वारा इसी तरह के कालाबाजारी प्रकरण में गिरफ्तार इनफिनिटी हार्ट इंस्टीट्यूट के नरेंद्र ठाकुर को 30 जून तक रिमांड पर लिया है। दोनों से पूछताछ में सामने आया कि उन्होंने विक्टोरिया अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर के ड्राइवर गोरखपुर हाऊबाग निवासी आनंद पटेल और संजीवनी नगर निवासी राहुल सेन के माध्यम से 8 रेमडेसिविर इंजेक्शन जिला अस्पताल के स्टोर से निकलवाए थे। इन इंजेक्शनों को पूर्व में गिरफ्तार राहुल विश्वकर्मा के माध्यम से बाजार में 19 से 25 हजार रुपए के बीच में बेचा गया था। आनंद पटेल और राहुल सेन को एक इंजेक्शन के एवज में 3 हजार रुपए दिए गए थे।
इस खुलासे के बाद एसटीएफ ने रविवार को आनंद पटेल और राहुल सेन को गिरफ्तार कर लिया। आनंद पटेल के घर की तलाशी में डॉक्टरों के नाम की सील लगी सात पर्चियां मिली। सातों पर फर्जी हस्ताक्षर मिले। इन पर्चियों के माध्यम से भी आरोपी विक्टोरिया के स्टोर से रेमडेसिविर इंजेक्शन निकलवाने की जुगत में थे, लेकिन इस गैंग के अन्य सदस्यों का भंडाफोड़ हो गया और वे एसटीएफ द्वारा पकड़ लिए गए। इससे पहले आनंद ने राहुल सेन के साथ मिलकर 8 इंजेक्शन निकलवा कर आरोपियों को बेच चुका था।
एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि पूर्व में पकड़ा जा चुका राहुल विश्वकर्मा मेडिकल कॉलेज में कम्प्यूटर ऑपरेटर था। वह ओपीडी की खाली पर्ची सील लगा निकाल लेता था। वहां मेडिकल में भर्ती मरीजों का अपने दोस्त व रिश्तेदारों का आधार कार्ड लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड भरता था। इसमें जिक्र रहता था कि अमुक पेशेंट मेडिकल में भर्ती है और उसे पहला डोज लगना है। इस पर दो इंजेक्शन जारी होता था।
इस पर्ची को राहुल विश्वकर्मा 27 जून को गिरफ्त में आए राहुल सेन के माध्यम से विक्टोरिया अस्पताल की डॉक्टर डीजे मोहंती के ड्राइवर आनंद पटेल को देता था। उसकी स्टोर में पहुंच थी, वह सीधे स्टोर से इंजेक्शन निकलवा कर राहुल सेन के माध्यम से राहुल विश्वकर्मा को दे देता था। उसे एक इंजेक्शन के एवज में तीन हजार रुपए मिलते थे। 11 अप्रैल को रेमडेसिविर नहीं आया। इस कारण उस दिन की 7 पर्ची आनंद के घर ही पड़ा रह गया था, जिसे एसटीएफ ने जब्त किया।
लंबा है रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी
एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने भले ही 8 इंजेक्शन इस तरह से निकालने की बात स्वीकार की है, लेकिन ये खेल लंबा है। अब एसटीएफ विक्टोरिया के स्टोर रूम से अप्रैल का रजिस्टर निकलवा रही है। इसमें मेडिकल कॉलेज में दर्ज सभी मरीजों की सूची के अनुसार तस्दीक की जाएगी कि उसे कोविड था या नहीं और वह कब मेडिकल में भर्ती रहा। उसे क्या बीमारी थी। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने नरसिंहपुर व छिंदवाड़ा में भी इंजेक्शन 19 से 25 हजार रुपए में बेचे थे। एसटीएफ ने रिमांड पर लिए गए नीरज साहू और नरेंद्र ठाकुर से पूछताछ में उस आरोपी को भी दबोच लिया है, जो उनकी फर्जी डिग्री बनाया था।

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