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Home मध्य प्रदेश स्‍कूल शिक्षा मंत्री के फिर बिगड़े बोल, अभिभावकों पर एफआईआर कराने कि कहीं बात....

स्‍कूल शिक्षा मंत्री के फिर बिगड़े बोल, अभिभावकों पर एफआईआर कराने कि कहीं बात....

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार इन दिनों पालकों को खरी-खोटी सुनाने के मामले में चर्चा का विषय बने हुए हैं। हालांकि इसके बावजूद वह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं। अब मंत्रीजी ने उक्‍त घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि गलती हो गई, पालकों पर एफआइआर दर्ज कराई जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि स्कूल फीस को लेकर सरकार ने उचित प्लेटफार्म बनाया है।

इधर, मंत्री निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत को लेकर बैकफुट पर भी आ गए हैं। बुधवार को उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्कूल में बच्चों की फीस में 63 फीसद वृद्धि की शिकायत पर जांच बैठा दी है। इस संदर्भ में दो दिन के अंदर जांच रिपोर्ट तलब की गई है।


दरअसल, अभिभावक संगठन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जवाहरलाल नेहरू स्कूल भेल प्रायमरी विंग गोविंदपुरा एवं जवाहरलाल नेहरू स्कूल भेल सीनियर विंग हबीबगंज ने कोरोना संक्रमण के दौरान लगभग 63 फीसद फीस बढ़ा दी है। इस मामले की शिकायत के बाद विद्यालय द्वारा तीन सत्रों में लिए गए शुल्क का परीक्षण कराकर इसकी जांच रिपोर्ट दो दिन में देने के लिए कहा गया है।

इधर, पालक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि शिक्षा मंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं, जबकि वे खुद एलएलबी डिग्रीधारी हैं। हम लोग बच्चों के पालक हैं, कोई गुंडे नहीं हैं।
बता दें कि पालक संघ का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार दोपहर स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार से मिलने उनके श्यामला हिल्स स्थित सरकारी बंगले पर पहुंचा था। पालक संघ की मांग थी कि स्कूल बंद होने के बाद भी एक अप्रैल से ऑनलाइन कक्षाओं की फीस वसूली जा रही है। यह फीस कम की जाए, नहीं तो आंदोलन किया जाएगा। इस बात पर मंत्री उखड़ गए और उन्होंने पालक संघ को ही खरी-खोटी सुनाना शुरू कर दिया था।


प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई पत्रकारवार्ता में कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मंत्री बच्चों के अभिभावकों से कह रहे हैं कि जिसे मरना हो, वह मर जाए। क्या यह मंत्री की भाषा है? पालकों को वे गुंडा बता रहे है। ऐसे शख्‍स को मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

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