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9 अगस्त से शुरू होगा मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र......

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 9 से 12 अगस्त तक चलेगा। विधानसभा सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। सत्र के दौरान सरकार पहला सप्लीमेंट्री बजट लेकर आएगी। इसमें कोरोना की व्यवस्थाओं में हुए खर्च के लिए प्रावधान किए जाएंगे। वित्त विभाग की तैयारी के मुताबिक, सप्लीमेंट्री बजट में करीब 4 हजार करोड़ रुपए का प्रवाधान किया जा रहा है।

मार्च में 10 दिन पहले खत्म हो गया था बजट सत्र

इसके अलावा प्रदेश में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने और अवैध काॅलोनी को वैध करने वाले संशोधित विधेयक को सरकार विधानसभा में पारित कराएगी। मध्य प्रदेश का बजट सत्र 22 फरवरी से 26 मार्च तक आयोजित किया गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से बजट सत्र तय अवधि से 10 दिन पहले समाप्त हो गया था। इसके पहले 2020 में मानसून और शीतकालीन सत्र भी नहीं हो पाए थे। 6 माह में सदन की बैठक करने की अनिवार्यता के चलते सितंबर 2020 में बैठक हुई थी।

कोरोना के चलते विभागों को मिलेगा अतिरिक्त बजट

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 9 से 12 अगस्त तक होने वाले सत्र में वित्त विभाग मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए प्रथम अनुपूरक अनुमान भी प्रस्तुत करेगा। इसमें कोरोना संक्रमण के मद्देनजर विभिन्न विभागों को अतिरिक्त बजट दिया जाएगा। मुख्यमंत्री इसकी घोषणा भी कर चुके हैं कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए आने वाले समय में बड़ी राशि खर्च की जाएगी।
अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए लाया जाएगा प्रस्ताव
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान सरकार अवैध कॉलाेनियों को वैध करने के विधेयक को पेश करेगी। शिवराज कैबिनेट ने पिछले सप्ताह ही इस विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने के प्रस्ताव काे मंजूरी दी थी, लेकिन इस विधेयक का नोटिफिकेशन नहीं हो पाया है। चूंकि इससे पहले विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी हो चुकी है, ऐसे में विधेयक सदन से पारित कराना होगा।

नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक लाएगी सरकार

मध्य प्रदेश में नगर निगम महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी। इसके लिए शिवराज सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में एक बार फिर नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक लाएगी। बजट सत्र में भी इसे प्रस्तुत किया गया था। लेकिन उस पर चर्चा नहीं हो सकी और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई थी।

कमलनाथ सरकार ने बदला था महापौर चुनाव का तरीका

कमलनाथ सरकार ने नगर पालिक विधि में संशोधन करते हुए महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता की जगह पार्षदों के बीच से करने का प्रविधान किया था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव समेत भाजपा ने विरोध दर्ज कराते हुए राज्यपाल से इन प्रविधानों को लागू करने की अनुमति नहीं देने की मांग रखी थी। हालांकि, राज्यपाल ने इसे कुछ दिन बाद अनुमति दे दी थी। इसके बाद विधेयक लाया गया था, लेकिन चुनाव नहीं हो पाए और सत्ता परिवर्तन हो गया।

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