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मध्‍य प्रदेश में सरकारी भर्ती में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण, आदेश जारी.....

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश में शासकीय नौकरियों में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव के अभिमत के आधार पर सभी विभाग, संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे उच्च न्यायालय में लंबित मामलों को छोड़कर बाकी में 27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से परीक्षाओं और भर्तियों की कार्यवाही करें। शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018, राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित स्वास्थ्य विभाग की भर्ती और मेडिकल पीजी प्रवेश मामले में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी।


मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम 2019 के माध्यम से पिछड़ा वर्ग को लोक सेवाओं एवं पदों में सीधी भर्ती में आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया गया है। यह प्रविधान आठ मार्च 2019 से प्रभावशील है। आरक्षण में वृद्धि को लेकर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जिस पर स्थगन आदेश जारी किए गए थे। इसकी वजह से भर्तियां प्रभावित हो रही थीं।

सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता से इसको लेकर अभिमत मांगा था। उन्होंने 25 अगस्त 2021 को अभिमत दिया, जिसमें कहा गया कि जो मामले उच्च न्यायालय में लंबित हैं, उन्हें छोड़कर 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक नहीं है। इसकी रोशनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घोषणा की थी कि पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इसके बाद गुरुवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके निर्देश सभी विभागों को जारी कर दिए। इसके मुताबिक लंबित मामलों को छोड़कर शेष सभी परीक्षाओं और भर्तियों में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है।


स्वास्थ्य विभाग में सर्वाधिक 14 हजार पद हैं रिक्त

प्रदेश में काफी समय से भर्ती नहीं होने की वजह से लगभग एक लाख पद विभिन्न् विभागों में रिक्त हैं। सर्वाधिक 14 हजार 349 पद स्वास्थ्य विभाग में रिक्त हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में 10 हजार 345, गृह में सात हजार 661, वन में सात हजार 425, अनुसूचित जनजाति में छह हजार पांच सौ, राजस्व में पांच हजार और कृषि में ढाई हजार पद रिक्त हैं। अन्य विभागों में 35 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं।


अध्यादेश के माध्यम से लागू किया था प्रविधान

कांग्रेस सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाया गया था। जुलाई 2019 में विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित हुआ और इसे लागू किया गया। भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होते ही छह याचिकाएं इस प्रविधान के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर हुईं। न्यायालय ने 27 प्रतिशत आरक्षण पर स्थगन आदेश पारित किया। तब से ही मामला लंबित है।

निर्णय एतिहासिक, कांग्रेस का ओबीसी विरोधी चेहरा उजागर

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सभी परीक्षा और भर्तियों में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश जारी किया है। यह वर्ष 2019 से लागू हो जाएगा। इसके दायरे में सिर्फ वे भर्तियां नहीं आएंगी, जिन पर उच्च न्यायालय का स्थगन है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा इस फैसले का श्रेय लेने पर कहा कि उन्होंने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के नाम पर राजनीति की है। अब सिर्फ फायदा लेना चाहती है इसलिए पिछड़ा वर्ग को गुमराह कर रही है।

सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार की कार्रवाई के बाद अब कांग्रेस का ओबीसी विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। वहीं, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश जारी करने पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष मीडिया भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकार ने अध्यादेश की तारीख से बढ़े हुए आरक्षण को स्वीकार करने से कमल नाथ सरकार का एक और वचन पूरा हो गया। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने सच की आवाज सुनकर उचित निर्णय लिया है।


20 सितम्बर को उच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई

पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण के संबंध में उच्च न्यायालय में अंतिम सुनवाई 20 सितम्बर को होगी। बुधवार को सुनवाई में सरकार की ओर से अंतरिम आवेदन प्रस्तुत करके पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने पर 19 मार्च 2019 को लगाई अंतरिम रोक हटाने पर बल दिया था।

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