भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को रविंद्र भवन में आयोजित “पर्यावरण से समन्वय” कार्यक्रम में लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को संबोधित करते हुए कहा कि विकास कार्यों में केवल तकनीकी उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ सामंजस्य भी होना चाहिए। उन्होंने कहा— “हमारे द्वारा किया गया कार्य हमें भी अच्छा लगे, और वह पर्यावरण के अनुकूल हो, तभी वह टिकाऊ और सार्थक होगा।” मुख्यमंत्री ने मिट्टी की प्रकृति के अनुरूप निर्माण कार्य करने पर जोर देते हुए कहा— “लीक से हटकर सोचें और कार्य करें। पर्यावरण से समन्वय शीर्षक अपने आप में हमारी निष्ठा को दर्शाता है।” उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को विशेष सलाह देते हुए कहा— “जहां जैसी मिट्टी हो, वहां वैसा ही सड़क निर्माण किया जाए। काली मिट्टी वाली जगहों पर सीमेंट और कंक्रीट की सड़कों का निर्माण किया जाए, ताकि वे लंबे समय तक टिकाऊ रहें।” अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन का उल्लेख करते हुए बताया कि यह विचार पहली बार ग्वालियर में रखा गया था और आज भी विकास एवं पर्यावरण के संतुलन की दृष्टि से अत्यंत प्रासंगिक है। इस अवसर पर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह समेत सभी इंजीनियरों का वर्कशॉप रविंद्र भवन, भोपाल में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न सत्रों के माध्यम से सतत और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण पद्धतियों पर विस्तृत चर्चा हुई।