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Home सियासत ये दोस्ती पसंद नहीं...TDP ने क्यों छोड़ा NDA का साथ...मोदी सरकार से हुआ मोह भंग...

ये दोस्ती पसंद नहीं...TDP ने क्यों छोड़ा NDA का साथ...मोदी सरकार से हुआ मोह भंग...

दिल्ली-कल तक सरकार की सहयोगी रही टीडीपी अब अपने अलग रास्ते पर चल पड़ी है, बीजेपी और टीडीपी गठबंधन में दरार पढ़ती दिखाई दे रही है, टीडीपी पार्टी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लम्बे समय से करती नजर आ रही है, पर अब टीडीपी ने गठबंधन छोड़ने का फैसला कर किया है। लोकसभा में भी वह बीजेपी के विश्वास की परीक्षा लेने के मूड में दिखाई दे रही है। वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी दोनों ही पार्टियां सरकार से नाराज चल रही हैं। आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने की मांग पर विचार न होने से पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है। विपक्ष से भी टीडीपी ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की है। समर्थन वापिस लेने से केंद्र सरकार को कोई खतरा तो नहीं है लेकिन राज्यसभा में सरकार को बिल पास कराने में मुसीबत खड़ी हो सकती है।क्योंकि शिवसेना की नाराजगी भी आए दिन देखी जा सकती है।

ये दोस्ती अब नहीं चलेगी....
टीडीपी के पास लोकसभा में 16 सांसद और वाईएसआर के 9 सांसद हैं। आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने पर टीडीपी ने केंद्र से पहले ही अपने दो मंत्रियों को हटाने का फैसला ले लिया था वाईएसआर कांग्रेस के सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा सचिवालय में शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का नोटिस दिया था।
अविश्वास प्रस्ताव की क्या है प्रक्रिया
अविश्वास प्रस्ताव को भी स्वीकार करने की एक प्रक्रिया है अगर इस प्रस्ताव को लोकसभा सचिवालय तभी स्वीकार करेगा जब कम से कम 50 सांसद इसका समर्थन करें। अगर 50 या उससे ज्यादा सांसद इसका समर्थन करते हैं तो यह मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास होगा।समर्थन देने पर ही लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन इस प्रस्ताव की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती हैं।

प्रस्ताव में कई संकट भी...
अविश्वास प्रस्ताव के लिए वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी ने विपक्ष से अपील की है कि वह इस प्रस्ताव का अपना समर्थन दें लेकिन ये तभी संभव है जब विपक्ष अपनी एक जुटता का परिचय दे।मीडिया की खबरों को माने तो विपक्षी पार्टियां अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती, इससे उम्हें सरकार पर हमला बोलने का मौका मिलेगा और लोकसभा में बहस करने का अवसर। केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस, लेफ्ट, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का समर्थन बेहद जरुरी है क्योंकि इन सबके सांसद की संख्या अधिक है।

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