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हम तो पूँछेंगे कलम की धार से : रोहित मिश्र

हम अपने हर रविवार की भांति इस रविवार को भी खास पेशकश *हम तो पूँछेंगे कलम की धार से* साप्ताहिक प्रश्नों के साथ आज पूंछ रहे हैं। चुरहट से राज्यसभा पहुंचे भाजपा के अजय के संबंध में साथ ही समीक्षा में विन्ध्य विकास प्रमुख के संबंध में भारत की संसदीय प्रणाली में सबसे बड़े सदन राज्यसभा में चुरहट को कुंवर साहब के बाद दूसरी बाद तवज्जो मिला है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र की राजनीतिक चमक रहे कुंवर अर्जुन सिंह दिल्ली से राज्यसभा पहुंचे थे। विशेष कोटा से दलित लुभावने में चितरंगी के जगन्नाथ सिंह को स्थान मिला था। उसके बाद अजय प्रताप तीसरे राजनीतिज्ञ हैं। जो इस पद पर सुशोभित होकर देश के सबसे बड़े सदन पहुंचे हैं। चुरहट की धरती को सुगंधित करने के लिए हम उन्हें सुभकामना देते हैं। कई गुणागणित को फतह कर वह कामयाब हुए। अब यह भी जानना जरूरी है। कि भाजपा के अजय का जनता के बीच कितना महत्व है।
-दो बार आए जनता दरबार में अजय प्रताप सिंह- विधानसभा चुनाव के माध्यम से दो मर्तबा जनता के दरबार में उतर चुके हैं। लेकिन, दोनों बार ही विफल रहे। अजय पहली बार 2003 के विधानसभा चुनाव में गोपद बनास विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी बतौर चुनाव मैदान में थे। कांग्रेस से कमलेश्वर द्विवेदी व समाजवादी पार्टी से केके सिंह भवर से उनका मुकाबला हुआ। वहां सपा प्रत्याशी केके सिंह भवर से उन्हें 28 हजार 626 मतों से परास्त होना पड़ा।

-दूसरी बार भी मिली हार-
दूसरी मर्तबा 2008 के विधानसभा चुनाव में वे चुरहट विधानसभा सीट से अजय सिंह के खिलाफ बतौर भाजपा प्रत्याशी ताल ठोके। लेकिन उस बार भी अजय प्रताप को अजय सिंह से 10 हजार 835 मतों से मुंह की खानी पड़ी। जनता ने भले ही विश्वास न जताया हो किंतु भाजपा संगठन व सत्ता ने विश्वास जताते हुए उन्हें राज्यसभा पहुंचा दिया।-चुरहट पर भाजपा की मेहरबानी-
जिले के विधानसभा क्षेत्र चुरहट पर भाजपा की ज्यादा मेहरबानी देखी जा रही है। इस सीट से भाजपा को लंबे समय से सफलता नहीं मिली है। फिर भी इस सीट के भाजपा के नेताओं पर विशेष मेहरबानी देखी जा रही है। इससे पूर्व चुरहट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बडख़रा गांव निवासी सुभाष सिंह को विंध्य विकास प्राधिकरण अध्यक्ष पद से नवाजा जा चुका है। अब चुरहट क्षेत्र अंतर्गत दुअरा गांव निवासी अजय प्रताप सिंह को राज्यसभा सांसद की कमान थमा दी गई है। वैसे यह धरती अपने आप मे ही राजनीति की माटी है यहीं से राजनीति के सफल छलांग लगाने वाले कुंवर साहब भी थे अब उनके दिवंगत हो जाने के बाद उनके पुत्र अजय सिंह राहुल भइया राजनीति कर रहे हैं। वह चुरहट से छः मर्तबा विधायक होकर मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं। आप को बता दें कि ये वही अजय प्रताप हैं। जिन पर भाजपा को इनके गाँव से ही पटखनी मिली थी और जिले के भाजपाई इन पर गंभीर आरोप लगाए थे कि इन्होंने भाजपा प्रत्यासी को जानबूझकर हराया था। कुछ लोग इस बाबत भाजपा के प्रदेश कार्यालय में शिकायत भी किये थे। इन्हें जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया इसका एक कारण यह भी है। कि चुरहट अपने आप मे ही चुनौतीपूर्ण स्थान है यहां से कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल के सदस्य को विधानसभा पहुंचना बड़ी टेढ़ी खीर है।
*क्या भाजपा का ही एक धड़ा नहीं चाहता था कि अजय प्रताप राज्यसभा पहुंचे*?
यूं तो यह शब्द बड़ा अटपटा सा प्रतीत होता है। लेकिन यह बात सही है। कि भाजपा के ही कुछ असफल कूटनीतज्ञ यह चाहते थे कि अजय राज्यसभा न पहुंचे इसके लिए ऐड़ी चोटी भी लगा दिए लेकिन हाँथ में तब निराशा लगी जब अजय राज्यसभा जाने के लावलश्कर के साथ माथे में पीला चंदन लपेटे गुलदस्ता प्राप्त करने लगे हम भी चुरहट के ही उपकरण हैं। हम प्रतिद्वंदी दल से होकर भी उनके राज्यसभा पहुंचने पर अतिप्रसन्न हुए। वो इसलिए कि अब कांग्रेस को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी प्रदेश के नेता विपक्ष आसान जीत दर्ज करेंगे अगर कुछ बचा कुचा कसर रह जाती है। तो दूसरे अजय पूरा कर देंगे ऐसा आभास हुआ जैसे विन्ध्य से कांग्रेस के दो प्रत्याशी राज्यसभा पहुंचे हों। खैर यह आगे की बातें हैं। फिलहाल सीधी से कुछ रणबांकुरों को नींद नही आ रही एक-एक रात बमुश्किल कट रही है। एक तरफ टिकट वाली लिस्ट दुखी कर रही है दूसरी तरफ अजय दिल्ली पहुंच गए भोपाल में थे तो जीने नहीं दिए अब दिल्ली भी पहुंचे गए दोहरी चोंट खैर कर भी क्या सकते थे जितना चला उतना किये भी बेबस क्या करते।
*चुरहट से ही विन्ध्य विकास परिषद और राज्यसभा का पद इसके पीछे क्या मायने और इनका जनता के बीच क्या जनाधार*?
जब चुरहट को विन्ध्य विकास परिषद का पद मिला तो सीधी में बसे कुछ लोग यह सोचने लगे कि चुरहट की मांटी में ही कुछ ऐसा प्रताप है की बड़े पद थोड़ा सा भागदौड़ करने पर मिल ही जाता है। और यह संभव भाजपा में ही है क्योंकि जिसे विन्ध्य विकास का यह पद मिला था वो कोई जनाधार वाले नहीं थे और ना ही सीधी की जनता उन्हें जानती पहचानती ही थी। जैसे ही लाल बत्ती चुरहट में चमकी तो भाजपा के कूटनीतिज्ञों की हवाई उड़ गई ।उड़ना लाजमी भी था क्योंकि की पद ही उन्हें मिला जो अपने घर से मामूली पद जनपद पंचायत सदस्य का चुनाव कड़ी मेहनत के बावजूद नही जितवा पाए थे हाल ही में हुए सरपंच का पद नहीं जिता पाए इससे यह स्पस्ट है।कि पद भले ही मिल गया हो पर ऐसे नेता चुरहट के अजय सिंह राहुल को चुनौती नहीं पेश कर पाएंगे अगर भाजपा यह सोचकर इन्हें आगे कर रही है। फिलहाल कांग्रेस प्रसन्न है। और विन्ध्य की भाजपा खिन्न। गुलदस्ता भी सबसे ज्यादा हम लोग ही भेंट किये हैं। कुछ और सवालों के साथ मिलेंगे अगले रविवार को---

एड.रोहित मिश्रा【जिला न्यायालय सीधी मध्यप्रदेश】

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