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रैगांव के रण में विरासत की बगावत,बागरी परिवार के 5 प्रत्याशियों ने भरा पर्चा......

सतना (ईन्यूज एमपी)-पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक रहे जुगुल किशोर बागरी के निधन से रिक्त हुई रैगांव विधानसभा सीट पर उप चुनाव में विरासत के लिए बगावत हो गई है। बागरी परिवार के अंदर भड़की चिंगारी ने भाजपा की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। दिवंगत विधायक के घर से ही उनके बेटे और छोटी बहू ने अपनी भतीजी भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन दाखिल कर दिया है। इसी परिवार से ताल्लुक रखने वाले जुगुल बागरी के एक और भतीजे सपा से उम्मीदवार बन कर मैदान में आ गए हैं। बागरी मतों का विभाजन कराने रानी बागरी भी मोर्चा खोल चुकी हैं।

रैगांव में बिछी चुनावी बिसात में भाजपा ने भले ही सीएम के वंशवाद और परिवारवाद के खात्मे संबंधी बयान के बाद रैगांव में जुगुल बागरी के बेटे पुष्पराज की टिकट काट दी हो, लेकिन इस फैसले ने यहां बवाल मचा दिया है। टिकट कटने से नाराज पुष्पराज ने शुक्रवार को पर्चा दाखिल कर दिया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। थोड़ी ही देर बाद उनके छोटे भाई की पत्नी वंदना देवराज बागरी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर आईं। दिवंगत विधायक के घर से उनके बड़े बेटे और छोटी बहू ने तो नामांकन जमा किया ही।

इसी परिवार के सदस्य और रिश्ते में पुष्पराज-देवराज के भाई और भाजपा प्रत्याशी प्रतिमा बागरी के चाचा पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह धीरू ने भी समाजवादी पार्टी से दावा ठोंक दिया। इन सब के अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य रानी बागरी भी मैदान में दो-दो हाथ करने के लिए भाजपा से टिकट की घोषणा के बाद ही मोर्चा खोलने का ऐलान कर चुकी थीं। लिहाजा, पर्चा उन्होंने भी दाखिल कर दिया। हालांकि रानी ने भाजपा से ही पर्चा भरा है, जबकि टिकट प्रतिमा बागरी को मिल चुकी है।

परिवार में ही होगा मुकाबला

रैगांव के रण में नामांकन जमा करने के आखिरी समय तक जो तस्वीर फिलहाल सामने आई है, उसमें भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से कही ज्यादा बागरी परिवार से ही होता नजर आता है। एक ही परिवार के 4 ऐसे सदस्य मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं, जिनके पारिवारिक रिश्ते भी हैं।

ऐसे हैं रिश्ते

-पुष्पराज ने निर्दलीय पर्चा भरा
उनकी चचेरे भाई देवराज की पत्नी वंदना ने भी निर्दलीय पर्चा भरा।
- पुष्पराज और धीरेंद्र सिंह धीरू चचेरे भाई हैं। धीरू ने सपा से पर्चा दाखिल किया।
- प्रतिमा बागरी को भाजपा से टिकट मिला है। उन्होंने पर्चा दाखिल किया।
- रानी बागरी ने भी पर्चा भरा है। जुगुल किशोर इनके रिश्ते में ससुर लगते थे। उनके भी ससुर लगते थे।
वंदना बोलीं - कोई सामाजिक दबाव नहीं

पर्चा भरने के बाद वंदना देवराज बागरी ने कहा कि उनके ससुर ने 40 साल रैगांव क्षेत्र की जनता की सेवा में लगाये लेकिन भाजपा ने भावनाओ को नही समझा। वे 2015 से चुनाव की तैयारी कर रही थी। वो जनता के बीच थीं और सेवा में लगी थीं, लेकिन भाजपा ने उनके नाम पर विचार न कर असंतुष्ट किया है। वंदना ने कहा कि वे लड़ने के लिए उतरी हैं। उन पर कोई सामाजिक दबाव मैदान से हटने का नहीं आएगा क्योंकि समाज को भी पता है कि उनके संकट में उनके साथ खड़ा होने वाला कौन है।

धीरू बोले- कोई पारिवारिक मामला नहीं, सब की अपनी अपनी राजनीति -

जुगुल किशोर बागरी के पहले रैगांव क्षेत्र से विधायक रहे सपा प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह धीरू ने कहा कि वसुधा के बागरी परिवार को राजनीति के जरिये भोपाल का रास्ता उन्होंने दिखाया। बागरी परिवार के वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो जिला पंचायत अध्यक्ष और विधायक बने। परिवार का कोई प्रश्न ही नहीं है क्योंकि सब की अपनी अपनी राजनीति है। वे मैदान में उतरे हैं और लड़ने के लिए ही उतरे हैं

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