बैकुंठपुर (ईन्यूज़ एमपी): जीवन में उजाले की उम्मीद लेकर अस्पताल पहुंचे मरीजों के लिए यह सफर अंधेरे की गहराई में बदल गया। कोरिया जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद चार मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। दर्दनाक घटना ने न केवल पीड़ितों की जिंदगी बर्बाद की, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। यह हादसा इतना बड़ा है कि प्रदेश सरकार ने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। कलेक्टर के निर्देश पर पांच सदस्यीय दल को जांच के लिए भेजा गया, जो ऑपरेशन थियेटर की स्थिति और इस्तेमाल की गई दवाओं की गुणवत्ता की जांच कर रहा है। 24 दिसंबर 2024 और 15 जनवरी 2025 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 13 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए थे। इनमें से पांच मरीजों को गंभीर दिक्कतें हुईं, जिनमें से चार ने हमेशा के लिए अपनी रोशनी खो दी। पीड़ितों को रायपुर रेफर किया गया, जहां जांच के बाद इस दर्दनाक घटना की पुष्टि हुई। पीड़ितों और उनके परिवारों का कहना है कि ऑपरेशन में लापरवाही हुई है। रोशनी खोने के बाद उनके जीवन में अंधेरा छा गया है। आक्रोशित परिवार सरकार से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। घटना की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरिया कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि मामले की गहन जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाए। जांच दल ने अस्पताल से सैंपल कलेक्ट किए और पीड़ित मरीजों से मुलाकात कर उनके बयान दर्ज किए। क्या बोले अधिकारी? मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रशांत सिंह ने कहा, "जांच के लिए सभी सबूत एकत्र किए जा रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।" आखिर किसकी है जिम्मेदारी? अब सभी की निगाहें रायपुर से आने वाली रिपोर्ट पर हैं। इसमें ऑपरेशन में हुई लापरवाही का खुलासा हो सकता है। यदि दोष साबित होता है, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।