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सिंगरौली में छाई-भस्सी गैंग की काली करतूत, प्रशासन के सिर पर ताज पहन बैठा माफिया

सिंगरौली (ईन्यूज़ एमपी) – सिंगरौली, जिसे ऊर्जा की राजधानी कहा जाता है, अब धीरे-धीरे कोल माफियाओं की राजधानी बनती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि अब कोल माफिया छुपते नहीं, बल्कि कैमरे के सामने मिलावट की मंडली चला रहे हैं, और प्रशासन... वो आंखों पर बंधी पट्टी की गांठ और मजबूत करता दिख रहा है।

झारखंड से आ रही छाई और भस्सी अब सिंगरौली के खदानों में कोयले की इज्जत लूट रही है, और यह मिलावट वाला कोयला गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों के पॉवर प्लांटों तक पहुंच रहा है – यानी देश की बिजली अब बेईमानी की राख पर जल रही है।

कोल माफिया के लिए सारे दरवाज़े खुले हैं, चाहे वह थाना हो, टैक्स नाका हो या आरटीओ चेक पोस्ट – कहीं कोई चेकिंग नहीं, कहीं कोई रुकावट नहीं।

शहर के जिम्मेदार विभाग – पुलिस, रेलवे पुलिस, माइनिंग विभाग और आरटीओ – सब कुछ जानते हुए भी ‘मौन व्रत’ धारण किए हुए हैं। मानो ये संस्थान नहीं, माफिया की सेवा समितियां बन चुकी हों।

हर रोज़ करोड़ों का कोयला डील, और हर रात सफेदपोशों के खाते में जमा होती काली कमाई:
सवाल ये नहीं है कि छाई भरी गाड़ियाँ कैसे पहुंचती हैं – असली सवाल तो ये है कि क्या इन गाड़ियों को किसी 'VIP पास' ने अंधाधुंध छूट दे रखी है? कौन है वो जो पूरे तंत्र को जेब में लेकर घूम रहा है?
स्थानीय लोगों ने खुद जब गाड़ियाँ पकड़ीं, तब जाकर पुलिस जागी – वरना प्रशासन को तो शायद तब भी नींद से कोई शिकायत नहीं होती।
वहीं बरगवां पुलिस ने अब छाई से भरे टेलर पकड़कर "मामले की जांच" शुरू की है – अब ये जांच कितनी गहराई तक जाएगी ये जांचने के लिए शायद हमें खुद किसी दूसरे राज्य से जांच एजेंसी बुलानी पड़े।
फिलहाल ये सब उस ज़िले में हो रहा है जहां से देश को रोशनी मिलती है। अफसोस ये है कि बिजली बन रही है, लेकिन व्यवस्था की बत्तियाँ गुल हैं।

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