रायसेन (ई न्यूज़ एमपी ) - आदि गुरू शंकराचार्य के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक तथा भारत की एकता अखण्डता में किए गए योगदान को जन-जन तक पहुंचाने तथा ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना हेतु धातु संग्रहण के लिए आयोजित की जा रही एकात्म यात्रा ने सागर जिले से बेगमगंज विकासखण्ड के ग्राम मढ़ियानाका में प्रवेश किया। एकात्म यात्रा के जिले में प्रवेश के समय लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह, जिला भाजपा अध्यक्ष धर्मेन्द्र चौहान, कलेक्टर भावना वालिम्बे, एसपी जगत सिंह राजपूत तथा सीईओ जिला पंचायत अमनवीर सिंह बैस सहित जिले भर से आए बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों एवं गणमान्य नागरिकों ने ढोल-नगाड़ों के साथ पुष्प वर्षा कर यात्रा का भव्य स्वागत किया। जिले में यात्रा के प्रवेश के समय 300 महिलाएं एक समान परिधान में कलश लेकर यात्रा के साथ-साथ चल रही थी। ग्राम रक्षा समिति के 100 सदस्यों ने भी नीले रंग के परिधान में कतारबद्ध होकर यात्रा का भव्य स्वागत किया। प्रवेश स्थल पर स्वागतद्वार तथा आकर्षक रंगोलिया बनाई गई थीं। जिले में यात्रा के प्रवेश स्थल मढ़ियानाका में स्कूल प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में कन्या पूजन, पादुका पूजन किया गया तथा संतो का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में स्वामी अखलेश्वरानंद महाराज जी ने कहा कि एकात्म यात्रा सांस्कृतिक और अध्यात्मिक अखण्डता की यात्रा है। उन्होंने आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन पर प्रकाश डाला तथा उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने की बात भी कही। इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि हम सभी का सौभाग्य है कि प्रदेश में यह अभिनव यात्रा निकाली जा रही है और हमें चरण पादुकाओं का पूजन करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य एकता के साथ सामाजिक समरसता को स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि आज सुबह से ही पूरे क्षेत्र की माता-बहनों सहित सभी नागरिक यात्रा के भव्य स्वागत एवं दर्शन के लिए लालायलित हैं। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश की अखण्डता के लिए अनेक कार्य किए हैं और हमें आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना के लिए अष्टधातु संग्रहण में सहयोग करने का यह अवसर मिला है। इसके पश्चात यात्रा ने बेगमगंज के लिए प्रस्थान किया। एकात्म यात्रा के स्वागत अभिनंदन हेतु जगह-जगह स्वागत ,में रंगोली बनाई गई। एकात्म यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले गांवों के निवासियों ने दोनों ओर खड़े होकर पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। साथ ही मूर्ति स्थापना के लिए अष्ट धातु भी भेंट की गई।