भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): मध्यप्रदेश में संविदा कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। अब संविदा पर कार्यरत कर्मचारी भी स्थानांतरण (ट्रांसफर) का लाभ ले सकेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ सख्त शर्तों से गुजरना होगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस संबंध में 23 मई 2025 को नई ट्रांसफर नीति लागू की है, जो पूरे प्रदेश के लगभग 2.5 लाख संविदाकर्मियों के लिए एक नया अध्याय खोलती है। क्या है इस नई व्यवस्था में? 1. पहले एग्रीमेंट खत्म, फिर नया करार: जिस स्थान पर कर्मचारी फिलहाल पदस्थ है, वहां का संविदा एग्रीमेंट खत्म करना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही नए कार्यस्थल पर नया एग्रीमेंट किया जा सकेगा। 2. 5 साल तक नहीं होगा दोबारा ट्रांसफर: एक बार स्थान परिवर्तन के बाद कर्मचारी अगले 5 वर्षों तक स्थानांतरण के लिए पात्र नहीं होगा। 3. जॉइनिंग और कार्यमुक्ति की समय-सीमा: ट्रांसफर आदेश के 2 सप्ताह के भीतर कर्मचारी को कार्यमुक्त किया जाएगा और एक सप्ताह के भीतर नए स्थान पर एग्रीमेंट पूरा कर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा। 4. कोई यात्रा भत्ता या अवकाश नहीं: इस स्थान परिवर्तन प्रक्रिया में यात्रा भत्ता, ट्रांसफर अलाउंस या अतिरिक्त छुट्टी का प्रावधान नहीं होगा। जिले के भीतर और बाहर ट्रांसफर की अलग प्रक्रिया जिले के भीतर स्थान परिवर्तन (1-30 मई के बीच): प्रभारी मंत्री की अनुमति और कलेक्टर की संस्तुति के बाद होगा ट्रांसफर। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा आदेश जारी किया जाएगा। कुल संविदा कर्मचारियों में से अधिकतम 10% का ही स्थानांतरण किया जा सकेगा। अंतर जिला ट्रांसफर केवल स्वैच्छिक आधार पर: विवाहित, तलाकशुदा या विधवा महिलाओं को पति, ससुराल या पारिवारिक जिले में भेजने का प्रावधान। गंभीर बीमारियों (कैंसर, ब्रेन ट्यूमर) से पीड़ित कर्मचारी या आश्रितों को प्राथमिकता। समान पदों पर कार्यरत दो कर्मचारियों के आपसी सहमति से भी तबादले की अनुमति। आवेदन संबंधित राज्य कार्यक्रम अधिकारी को भेजे जाएंगे, जो दस्तावेजों की जांच कर स्थानांतरण का निर्णय लेंगे।