भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट की मजबूत पहचान दिलाने की दिशा में अब एक नया कदम उठाया जा रहा है। रीवा जिले के गोविंदगढ़ बाघ प्रजनन केंद्र और कर्नाटक के पीलीकुला बायोलॉजिकल पार्क (मंगलुरु) के बीच वन्यप्राणी आदान-प्रदान को लेकर उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने सोमवार को मंत्रालय में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में अपर मुख्य सचिव वन अशोक बर्णवाल और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) शुभरंजन सेन भी उपस्थित रहे। CZA को निर्देश – तेजी से फाइनल करें प्रस्ताव: उप मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA), नई दिल्ली से आग्रह किया है कि वन्यजीवों के आदान-प्रदान से संबंधित प्रक्रिया को जल्द अंतिम रूप दिया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पहल न केवल प्रजनन और संरक्षण के लिए अहम है, बल्कि इससे मध्यप्रदेश की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय छवि भी और मजबूत होगी। गोविंदगढ़ को बनेगा मॉडल सेंटर – पर्यटन, अनुसंधान, जैव विविधता पर होगा फोकस: डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि गोविंदगढ़ स्थित बाघ प्रजनन केंद्र को वन्यजीव पर्यटन, अनुसंधान और जैव विविधता संरक्षण का आदर्श मॉडल बनाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही अधोसंरचना विकास, विशेषज्ञों की नियुक्ति और तकनीकी दिशा-निर्देशों पर कार्य शुरू होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य सिर्फ टाइगर काउंट बढ़ाना नहीं, बल्कि बाघों के संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन को दीर्घकालिक रूप से मजबूत करना है। बाघों के भविष्य का “गोविंदगढ़ मॉडल”: उल्लेखनीय है कि गोविंदगढ़ बाघ प्रजनन केंद्र, मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण की एक महत्वपूर्ण रणनीतिक इकाई के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह केंद्र न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है, जहां वन्यप्राणियों के सतत संरक्षण, प्रजनन और अंतरराज्यीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत होगा।