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Home मध्य प्रदेश 400 करोड़ की लागत से होगा ग्वालियर के सीवर समस्या का स्थाई समाधान: मंत्री माया सिंह

400 करोड़ की लागत से होगा ग्वालियर के सीवर समस्या का स्थाई समाधान: मंत्री माया सिंह

ग्वालियर(ईन्यूज़ एमपी)- शहर की सीवर समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिये अमृत परियोजना के तहत लगभग 400 करोड़ रूपए की राशि खर्च होगी। परियोजना के तहत करीबन 300 किमी. लम्बाई की सीवर लाईन और चार सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जायेंगे। खुशी की बात है कि लालटिपारा मुरार में ग्वालियर के पहले एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का आज भूमि पूजन हुआ है। यह बात प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह ने कही। माया सिंह अमृत परियोजना के तहत लालटिपारा में बनने जा रहे 65 एमएलडी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के भूमि पूजन कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने की।

अमृत परियोजना के तहत एक पैकेज मुरार क्षेत्र के लिये और दूसरा पैकेज ग्वालियर क्षेत्र के लिये मंजूर हुआ है। मुरार क्षेत्र के लिये स्वीकृत सीवरेज एवं एसटीपी निर्माण कार्य की कुल लागत लगभग 208 करोड़ रूपए होगी। लालटिपारा मुरार में 65 एमएलडी के एसटीपी का निर्माण लगभग 56 करोड 40 लाख रूपए की लागत से होगा। इस कार्य की टेण्डर प्रतिस्पर्धा में देश की जानी-मानी 11 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। गुजरात की जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह काम मिला है। अगले 10 साल तक एसटीपी के संचालन और संधारण की जवाबदेही निर्माण कंपनी की ही होगी।

नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने कहा कि अमृत परियोजना के तहत जल्द ही लश्कर क्षेत्र की सीवर समस्या के समाधान के लिये जलालपुर के समीप और दीनदयालनगर एवं अन्य समीपवर्ती बस्तियों की सीवर समस्या के स्थायी निदान के लिये शताब्दीपुरम क्षेत्र में एसटीपी का काम शुरू होगा। इसी तरह विक्की फैक्ट्री क्षेत्र में भी एसटीपी स्थापित होगा। उन्होंने इस मौके पर शहरवासियों से आहवान किया कि नई सीवर लाईनें डालने के दौरान होने वाली परेशानियों को दरकिनार कर इस काम में सहयोगी बनें| माया सिंह ने कार्य एजेन्सी को भी हिदायत दी कि जहाँ भी लाईन डालने के लिये खुदाई की जाए, उसे जल्द से जल्द भरकर सड़क को मूल रूप में लायें, जिससे आम जन को कठिनाई न हो। उन्होंने कार्य की गुणवत्ता का ध्यान रखने पर भी विशेष बल दिया। साथ ही निर्देश दिए कि कार्य स्थल पर बोर्ड लगाकर यह प्रदर्शित करें कि कार्य कब शुरू हुआ और कब पूर्ण होगा। बोर्ड पर कार्य की लागत भी प्रदर्शित की जाए।

एसटीपी को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जायेगा:- नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा ने इस मौके पर जानकारी दी कि नया एसटीपी बहुत ही कम क्षेत्र में स्थापित होगा। इससे जो जमीन बचेगी उस पर अत्याधुनिक पार्क स्थापित कर उसे पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जायेगा। लालटिपारा में जहाँ आज 65 एमएलडी के नए एसटीपी की आधारशिला रखी गई है, वहाँ पर वर्ष 2004 में 50 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट डब्ल्यूएसपी (वेस्ट स्टेबिलाइजेशन पाँड) स्थापित था। इस प्लांट की वेस्ट वाटर की बीओडी लगभग 50 मिग्रा. प्रति लीटर थी जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुरूप नहीं है। लालटिपारा में अमृत के तहत स्थापित होने जा रहे 65 एमएलडी के नए एसटीपी का निर्माण अत्यंत आधुनिक तकनीक एसबीआर पद्धति से किया जा रहा है। इसमें वेस्ट वाटर की बीओडी 10 मिग्रा. प्रतिलीटर से कम होगी। जाहिर है नए एसटीपी से शोधित पानी का उपयोग सिंचाई, पशुओं के पीने तथा निस्तार संबंधी अन्य जरूरतों के लिये हो सकेगा। उन्होंने बताया कि ग्वालियर शहर प्रदेश का ऐसा पहला शहर था जहाँ सन् 1932 में ही सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया था। शहर के उसी गौरव को बहाल करने के लिये ग्वालियर में सीवर समाधान की सुनियोजित योजना बनाई गई है।

शहर में कचरे से बनेगी 15 मेगावाट बिजली, पार्क भी विकसित होंगे:- नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने कहा कि ग्वालियर में कचरे से 15 मेगावाट बिजली बनाने के प्रोजेक्ट का काम जल्द शुरू होगा। साथ ही कटनी की तर्ज पर कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने की इकाई भी स्थापित की जायेगी।

उन्होंने कहा कि शहर में अमृत परियोजना के तहत दो दो करोड़ की लागत से अत्याधुनिक पार्क भी विकसित किए जायेंगे। साथ ही शहर में सर्वसुविधायुक्त सिटी बसें भी अमृत परियोजना के तहत चलेंगीं। माया सिंह ने इस मौके पर यह भी कहा कि शहर में ठोस अपशिष्ट कचरा प्रबंधन के तहत ग्वालियर शहर को हाल ही में कचरा ढोने के लिये 48 गाड़ियाँ दी गई हैं। जरूरत पड़ने और भी कचरा वाहन उपलब्ध कराए जायेंगे। उन्होंने नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिए कि अतिक्रमण करके बनी झोंपड़ी व मकानों को हटाने से प्रभावित लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मुहैया कराए जाएँ।

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