सीधी (ईन्यूज़ एमपी): सीधी ज़िले के स्वास्थ्य महकमे में वह हुआ जिसकी लोग फुसफुसाहट में चर्चा करते थे, पर कागज़ों पर पहली बार मुहर लगी। विकासखंड चिकित्साधिकारी डॉ. आर. के. वर्मा, जो हमेशा सुर्खियों में रहने का ‘टीका’ लगाए घूमते थे, अब ₹6,63,000 की अनियमितता के ‘इंजेक्शन’ में बुरी तरह फंस गए हैं। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं में कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि का ‘इलाज’ कागज़ों पर इतना हो गया कि मरीजों से ज़्यादा आंकड़े ‘ठीक’ हो गए। 29,578 व्यक्तियों की जांच का दावा कर ₹6,95,250 का भुगतान स्वीकृत करा लिया गया, लेकिन फील्ड में यह आंकड़े अस्पताल के खाली बेड जैसे निकले — सिर्फ नंबर, कोई मरीज नहीं। डॉ. वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने अधीनस्थ स्वास्थ्य अधिकारियों के कार्यों की सही निगरानी करने के बजाय ‘कागज़ी मरीज’ और ‘कागज़ी इलाज’ को तरजीह दी। ऊपर से, फर्जी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी अनुमोदित कर दिया। नतीजा — न केवल तत्काल निलंबन, बल्कि मामला अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) तक पहुंच चुका है। हमेशा सुर्खियों के ‘मरीज’ रहे डॉ. वर्मा: डॉ. वर्मा का नाम सीधी जिले में स्वास्थ्य विभाग के स्थायी हेडलाइन जैसा रहा है। वर्षों से अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ टकराव, उत्पीड़न के आरोप और नियमों की अनदेखी के मामलों में वह कई बार ‘मीडिया वार्ड’ में भर्ती हो चुके हैं। फर्क बस इतना है कि इस बार मामला ‘सर्जरी’ के स्तर का निकला — सीधे जनता के स्वास्थ्य बजट पर ऑपरेशन।