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बहरी स्वास्थ्य केंद्र में भोजन व्यवस्था में धांधली का खुलासा

बहरी स्वास्थ्य केंद्र में भोजन व्यवस्था में धांधली का खुलासा

सीधी(ई-न्यूज़ एमपी): जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को भोजन उपलब्ध कराने में लापरवाही और गड़बड़ी का मामला सामने आया है। सिहावल विकासखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहरी में स्व-सहायता समूहों की निविदा प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें उठी हैं।

नियमों के अनुसार, सबसे कम बोली लगाने वाले समूह को कार्यादेश दिया जाना था। इसके बावजूद 75 रुपये की दर पर बोली लगाने वाले समूह को दरकिनार कर 80 रुपये की बोली लगाने वाले अल्का समूह चांदवाही को आदेश जारी कर दिया गया। सवाल यह है कि अधिक दर वाले समूह को प्राथमिकता आखिर किस आधार पर दी गई?

सूत्रों का कहना है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और कुछ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। खासतौर पर मेडिकल ऑफिसर स्तर पर प्रक्रिया को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं।

बैठक प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है। 14 सदस्यों की समिति बनाई गई थी, लेकिन कई बार बैठकों में न्यूनतम सदस्य ही उपस्थित रहे। 19 अगस्त 2025 की बैठक में केवल 4 सदस्य उपस्थित होने पर बैठक स्थगित कर दी गई थी, जबकि 31 जुलाई 2025 की बैठक में 5 सदस्य उपस्थित होने के बावजूद निर्णय ले लिया गया। इससे समिति की कार्यप्रणाली पर संदेह और गहरा हो गया है।

इस गड़बड़ी का असर गर्भवती महिलाओं पर सीधा पड़ा। समय पर भोजन उपलब्ध न होने से उन्हें प्रसव के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। खंड चिकित्सा अधिकारी ने समय पर टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश पहले ही जारी कर दिए थे, लेकिन आदेशों का पालन नहीं हुआ और 4 माह तक मामले को टालते रहे।

आरटीआई से भी साफ जवाब नहीं मिला। 5 और 25 अगस्त को लगाई गई आरटीआई के बावजूद एक महीने से अधिक समय तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। यहां तक कि मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी सिहावल ने भी लिखित में शिकायत की है कि संबंधित अधिकारी समय पर जानकारी मुहैया नहीं करा रहे हैं।

उठते सवाल:

* 14 में से केवल 5 सदस्यों की मौजूदगी में बैठक मान्य कैसे कर ली गई?
* कम बोली वाले समूह को हटाकर अधिक दर वाले समूह को ठेका क्यों दिया गया?
* कार्यवाही रजिस्टर में बाद में कराए गए हस्ताक्षर किन परिस्थितियों में हुए?
* चार महीने तक गर्भवती महिलाओं को भोजन क्यों नहीं मिला?

यह मामला अब पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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