कफ सिरप से मासूमों की मौत, केंद्र ने दी चेतावनी – बच्चों को न दें खांसी की दवा भोपाल/छिंदवाड़ा। खांसी के इलाज में दी जा रही कफ सिरप ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में कहर बरपा दिया है। छिंदवाड़ा जिले में अब तक 9 मासूमों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 बच्चे गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं। किडनी फेल होने को मौत का कारण माना जा रहा है। इस मामले में केंद्र सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा न दी जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बच्चों को दी गई दवाओं के नमूनों में डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे घातक रसायन नहीं पाए गए हैं, हालांकि मौत के कारणों की जांच जारी है। दोनों रसायन किडनी को नुकसान पहुँचाने के लिए जाने जाते हैं। तमिलनाडु ने ‘कोल्ड्रिफ’ की बिक्री पर रोक लगाई तमिलनाडु सरकार ने तत्काल प्रभाव से *कोल्ड्रिफ* सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है और बाजार से हटाने के आदेश दिए हैं। टेस्टिंग रिपोर्ट आने तक उत्पादन भी बंद कर दिया गया है। बताया जाता है कि यह कंपनी मध्यप्रदेश, राजस्थान और पुड्डुचेरी में भी दवाइयां सप्लाई करती है। जांच में जुटी विशेषज्ञ टीम एनसीडीसी, एनआइवी पुणे, आइसीएमआर, एम्स नागपुर और सीडीएससीओ की टीम बच्चों की मौत की वजह तलाश रही है। पानी, मच्छरों और अन्य नमूनों की जांच भी जारी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में कुछ मामलों में *लेप्टोस्पायरोसिस* की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों ने लिखी थीं प्रतिबंधित दवाएं जिन बच्चों की मौत हुई, उनके परिजनों ने परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाया था। डॉक्टरों ने वही सिरप लिखी थी, जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है। परासिया एसडीएम शुभम यादव ने बताया कि अब तक 9 बच्चों की मौत हो चुकी है और दो कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। एडवाइजरी के मुख्य बिंदु * दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा न दें। * 5 साल से कम उम्र में दवाओं का उपयोग न हो, सामान्य स्थिति में आराम और घरेलू उपाय अपनाएँ। * बड़ी उम्र के बच्चों को भी दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर और सीमित मात्रा में दी जाए। * एक साथ कई दवाओं के कॉम्बिनेशन से बचें। * स्वास्थ्य संस्थान केवल प्रमाणित गुणवत्ता वाली दवाइयां ही खरीदें। विरोधाभास बढ़ा सवाल मध्यप्रदेश में मौतों के बावजूद दवा सैंपलों में घातक रसायन नहीं मिले हैं। इससे जांच और भी उलझ गई है। वहीं राजस्थान में भी बच्चों की मौत के बाद डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन सिरप की जांच की गई, लेकिन दूषित रसायनों की पुष्टि नहीं हुई। पहली मौत और सप्लाई का खुलासा किडनी फेल होने का पहला मामला 24 अगस्त को सामने आया था, जबकि पहली मौत 7 सितंबर को नागपुर में हुई। जांच में सामने आया कि जबलपुर से छिंदवाड़ा को 594 शीशी सिरप सप्लाई की गई थीं, जिनमें से कुछ मरीजों तक पहुँचीं।