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अगर बारिश के मौसम में आप नहीं होना चाहते बीमार...तो जरुर पढ़े

सीधी(ईन्यूज़ एमपी)-बारिशаया बरसात का नाम सुनते ही मन गदगद हो जाता है। क्योंकि गर्मी के मौसम के बाद रिमझिम फुहारेंаशरीर और मन को ठंडक देकरаबहुत सुकून देती है।चारों तरफ हरियाली हो जाती है। ठंडी ठंडी हवा में बाहर घूमने फिरने का आंनद बरसात के मौसम जैसा किसी मौसमаमें नहीं आता। बारिशаहोते हीаगर्मा गरम चाय और पकौड़े याद आने लग जाते है।
सिगड़ी पर सिके भुट्टे खाने का मजा ही अलग है।аबच्चे इस मौसम मेंаकुछ ज्यादा ही उत्साहित और रोमांचित जाते है,
बरसातаके इस मौसम में हेल्थ कीаकुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए ताकि इस मौसम कोаभरपूर एन्जॉय कर सकें। इस मौसम में तुलसी, аसोंफ,аहल्दी,аदालचीनी, तेजपत्ता,аअदरक,аकाली मिर्चаके उपयोग से बहुत लाभ मिलता है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहती है अतः इनका उपयोग जरूर करें।аबारिश के मौसमаमें होने वालीаबीमारियों аके बारे में जानकारी हासिल करकेаइनसे सावधान रहना चाहिएа। आइये देखें ये कौनसी बीमारियाँ है, क्यों होती हैаऔर इनसे कैसे बचें।
बरसात के मौसम में बीमार होने का मुख्य कारणаगंदगी, मच्छर व कीड़े, अशुध्द पानी पीना , वातावरण में नमी , कपड़े गीले हो जानाаआदि होते है। इन सब कारणों से इस मौसम मेंаविशेषकरаवाइरल फीवर , डायरिया , मलेरिया ,аचिकन गुनियाа,аपीलियाа,аडेंगूаऔर स्किन प्रॉब्लम आदि हो सकते है।


वायरल फीवर Ц Viral Fever
аवायरल फीवर बारिश के मौसम की सबसे आम समस्या है।аबरसात के मौसममेंаसर्दी Ц जुकाम, खांसी, हल्काаबुखार और
हाथ पैरो में दर्द या аसिर में दर्दа आदिаये सब वायरल इंफेक्शन होना दर्शाते है। इन कारणों सेаनींद नहीं आती।аबारिश मे аभीगने,ठंडी हवा से,तापमान परिवर्तन नींद पूरी न होनेаआदि केаकारण प्रतिरक्षा तंत्रаकुछ कमजोर हो जाता है। इससेаहवा में फैले वायरस या दूषित और अशुध्द खाने पीने के सामानаआदि के कारणаवायरलаफीवर हो जाता है।аवायरल बुखार केаलक्षण महसूस होने लग जाते है।
तुलसी के पत्ते -4 काली मिर्च 4 और अदरक -एक छोटा टुकड़ा कूटकर डेढ़ कप पानी में उबालें। छान कर चाय की तरह पीयें। इससे जुकाम में बहुत आराम मिलता है।
बारिश मेंаजोड़ों का दर्दаबढ़ जाता है इसके लिए एक चम्मचаशहदаमें आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ मिलाकर दिन में एक बार लें। इसके लगातार
उपयोग से भूख सामान्य रहेगी और जोड़ों का दर्द नहीं सतायेगा।
भीगने से बचें , कपड़े गीले हो तो तुरंत बदल लें। पौष्टिक भोजन ले।аविटामिनаC युक्तаफलаआदि लेने से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत रहता है अतः इनका जरूर उपयोग करें। आपके आस पास केаकिसी व्यक्तिаको सर्दी जुकाम हो तो सावधान रहें। उससे आपको लग सकता है। ऐसे व्यक्ति से हाथ मिलाया हो तो हाथ साबुन से धोना चाहिए |सड़क पर मिलने वाले खाने पीने के सामान से सावधान रहें।

аदस्त , हैजाааЦ Diarrhea , Cholera
аदस्त लगने की समस्याаअक्सर बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु )аमें हो जाती है। ये दूषितаखाने पीने के सामानааया गंदा पानी पीने से होता है। इस मौसम में ई-कोलाई , साल्मोनेला , रोटा वायरस , नोरा वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट व आँतों में सूजन औरаजलन होकर
उल्टी दस्त आदि की शिकायत हो जाती है।аसाधारण रूप से दस्त 4-5 दिन में ठीक हो जाते है। दस्त में रक्त आता हो और पेट में मरोड़ उठतीаहो तोаयेаपेचिशаहो सकती है। छोटे दूध पीते बच्चेа( शिशु )аको दूध की बोतल की सफाई सही तरीके से ना होने के कारण दस्तаहो सकते है।
एक दो बार पतले दस्त हो तो चिंता ना करें लेकिन यदि बहुत ज्यादा बार दस्त हो औरаउल्टीаभी हो सतर्क हो जाएँ। ये हैजा भी हो सकता है।
हैजा होने परаचावलаके पानीаकी तरह पतले दस्त बार बार होते है। दस्त लगने से पहले या बाद में उल्टी होना भी शुरू हो सकती है।ааइससे शरीर में पानी की बहुतаकमी हो सकती है। ऐसी अवस्था में उपचार नहीं होना घातक हो सकता है।
दस्त की इन समस्याओंаसे बचने के लिए खाने पीने की चीजों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विशेष कर बाहरаपीने का पानी , चाट , गोल गप्पे , पानी पूरी , भेल पूरी , मेले में खुले में बिकने वाली मिठाइयां आदिаदस्त की समस्या पैदा करने की वजह होते है। अतः इनके सबंध में सावधानी रखनी चाहिए। कटे हुए फल व सलाद आदि ज्यादा देर तक ना रखें। बारिश के कीचड़ में सने जूते ,चप्पल घर में अंदर न लाएं ,इनके साथ कीटाणु आ जाते है।аखाना खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से धो लेने चाहिए।
दस्त मेंаदूधа,घी न लेकरаछाछаलेनी चाहिए। इसके अलावा उबलाаआलूа, चावल का मांड ,аनींबूаकी शिकंजी , पकाаकेलाаआदि आसानी से
पचने वाले आहार थोड़ी मात्रा में लेने चाहिएа पानीаमेंаनमकа,चीनी मिलाकर थोड़ा थोड़ा लगातार लेतेаरहना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी नाаहो।

मलेरिया Ц Malaria
аतेज कंपकंपीаछूटने के साथ तेज सिरदर्द और तेज बुखार ये सब मलेरिया के लक्षण है।аकंपकंपीаबहुत तेज होती है। इसके बाद एक निश्चित अंतराल से इसी प्रकार बुखार आता है। ऐसे में फौरन मलेरिया के लिए रक्त की जांच करवानी चाहिए। यदि रिपोर्ट में मलेरिया पॉज़िटिव आए तो तुरंत दवा शुरू कर देनी चाहिए।

मलेरिया होने का कारण मादा एनाफिलिज मच्छर होता है। इसके काटने से इसके अंदर मौजूद मलेरिया के कीटाणु हमारे अंदर चले जाते है।

14 दिन के बाद तेज बुखार हो जाता है। ये मच्छर बरसात के इकट्ठेаपानी में पनपते है।
मलेरिया से बचाव के लिए मच्छर से बचाव के साधन अपनाने चाहिए। मच्छरदानी аकाаउपयोग या मच्छर भगाने वाली छोटी मशीन या क्रीम आदि का उपयोग करना चाहिए। आस पास पानी इकट्ठा नहीं हो इसका ध्यान रखें।аयदि हो तो कीटनाशक या मिट्टी का तेल डालना चाहिए।

аपीलिया Ц Jaundice
यदि हल्का हल्का बुखार आता हो। भूख नहीं लगती हो। खाना देखने या मुँह में रखने से उबकाई आती हो।аपेशाबаगहरे पीले रंग का आता हो। थकान रहती हो। नींद बहुत आती हो। आंखें और नाखूनаपीले दिखतेаहो तो येаपीलिया रोगаहोता है। बरसात के मौसम ( वर्षा ऋतु )аमें इस रोग के होने कीаसम्भावना बढ़ जाती है।

аमल मूत्र के विस्तारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण और पीने का पानी बिना उबाले या बिना फिल्टर किए उपयोग करने पर ये हो सकता है। सिर्फ क्लोरीन से पानी कोаउपचारित करने से इस रोगаके कीटाणु नष्ट नहीं होते है।
पीलिया लीवर की कोशिकाओं में संक्रमण के कारण होता है। इस रोग के कीटाणु दूषित खाद्य सामग्री के कारण शरीर में प्रवेश कर जाते है और लीवर पर हमला बोल देते है। ये कीटाणु दूषितаरक्त के चढ़ाये जाने के कारण भी हो सकता है। लीवर के रोगग्रस्त होने के कारण रक्त में बिलरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे शरीर के अंग पीले दिखाई देते हैं|

аखाने पीने की चीजें शुद्ध हो इसका ध्यान रख कर इस रोग से बचा जा सकता है। पानी उबाल कर या आधुनिक तकनीक की मशीन सेаफिल्टर किया हुआ аपीना चाहिए।

аस्किन की समस्या Ц Skin Problems
аबारिश ( Barish )аके मौसम में नमी बने रहने के कारण बैक्टीरिया आसानी से पनपते है। इसलिएаत्वचा पर कई तरह के इंफेक्शन होने की सम्भावनाаहोती है। इस मौसम में त्वचा परаफोड़े ,аफुंसीа, दाद , खाज ,аघमोरियांаа, रैशेज , फंगल इंफेक्शनаआदि सकते है। पसीना ज्यादा आने के कारणаभी स्किन पर घमोरियां आदि जाती है। हवा न लगने वाली जगहаफंगलаइंफेक्शन हो सकताаहै।
इन सब परेशानियों से बचने के लिए गीले कपड़े या जूते लम्बे समय तकаनहीं पहननेаचाहिए। नहाने के पानी में बैक्टीरिया को मिटाने वाली दवा या नींबू के रस कीаकुछ बूंदेंаडालकर नहाएं।аनीम का साबुन आदि का उपयोग करना चाहिए। नीम की पत्ती को पानी मेंаउबालकर इस पानी को नहाने के पानी में मिलाकर नहाएं।аस्किन पर जहां इंफेक्शन होने की सम्भवना हो वहां टेलकम पाउडर लगा कर वो जगह सूखी रखनी चाहिए। फंगल इंफेक्शन हो तो एंटी फंगल क्रीम लगानी चाहिए।аउबटनаआदि लगाकर नहाना चाहिए। सूती वस्त्र पहनने चाहिए ताकि स्किन को हवा मिलती रहे और पसीना भी सोख लें|

उपर्युक्त जानकारी में प्रारंभिक घरेलू उपाय बताये गए हैँ अतः इलाज हेतु नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में बिना देरी किये जाएँ |

संकलन (अंतर्जाल आधारित)
संजय द्विवेदी,
मधुरी, सीधी

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